Saturday, October 1, 2011

लाल बहादुर शास्त्री और गाँधी जी के जन्मदिन की हार्दिक बधाई हो



आप सब को लाल बहादुर शास्त्री और गाँधी जी के जन्मदिन की हार्दिक बधाई हो.गाँधी जी के बारे में ज्यादा बताने के ज़रूरत नहीं है क्योंकि हम सब उनके बारे में काफी कुछ जानते है, लेकिन ये देश का दुर्भाग्य है की हम शास्त्री जी जैसे महान नेता को भूल चुके है. "जय जवान जय किसान" के नारा देने वाले शास्त्री जी का जन्मदिन अगर किसी और दिन आता तो शायद हम सब उन्हें भी याद करते, लेकिन २ अक्टूबर को दोनों का जन्मदिन होने के कारण शास्त्री जी को लोग याद नहीं करते. टीवी पर, पेपर में, हर जगह हमे यही देखने को मिलता की आज गाँधी जयंती है, आज सुबह भी टीवी पर गाँधी जयंती पर विशेष कार्यक्रम आ रहा था और टीवी वाले कह रहे थे की आप को गाँधी जयंती के शुभकामनाये, लेकिन शास्त्री जी को भूल गए. अगर आप को लगे की मैं गाँधी जी के लिए कुछ गलत कह रहा हु तो मुझे माफ़ कर दे, मैं भी गाँधी जी का सम्मान करता हु, लेकिन मैं ये भी चाहता हु की शास्त्री जी को भी पूरा सम्मान मिले. छोटे कद का ये नेता वास्तव में कितना महान था क्या ये हम जानते है.

Monday, November 16, 2009

Written By :- Kumar Vishwas

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है

मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है,

मैं तुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है

ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है !!!


समुँदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता

ये आसुँ प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता ,

मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले

जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता !!!


मुहब्बत एक एहसानों की पावन सी कहानी है

कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,

यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूँ हैं

जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है !!!


भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हँगामा

हमारे दिल में कोई ख्वाब पला बैठा तो हँगामा,

अभी तक डूब कर सुनते थे हम किस्सा मुहब्बत का

मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हँगामा !!!

Wednesday, November 11, 2009

अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना

अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना ,
हर चोट के निशान को सजा कर रखना ।

उड़ना हवा में खुल कर लेकिन ,
अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना ।

छाव में माना सुकून मिलता है बहुत ,
फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना ।

उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं ,
यादों में हर किसी को जिन्दा रखना ।

वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना ,
खुद को दुनिया से छिपा कर रखना ।

रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी ,
अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना ।

तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम ,
कश्ती और मांझी का याद पता रखना ।

हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं ,
अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना ।

मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं ,
हर किसी से रिश्ता बना कर रखना ।

मरना जीना बस में कहाँ है अपने ,
हर पल में जिन्दगी का लुफ्त उठाये रखना ।

दर्द कभी आखरी नहीं होता ,
अपनी आँखों में अश्को को बचा कर रखना ।

मंज़िल को पाना जरुरी भी नहीं ,
मंज़िलो से सदा फासला रखना ।

सूरज तो रोज ही आता है मगर ,
अपने दिलो में ‘ दीप ‘ को जला कर रखना .................

Tuesday, November 10, 2009

Mera Man..........

************************************

KABHI AAPNI HANSI PAR AATA HAI GUSSA,
KABHI SAARE JAG KO HANSANE KO JI CHAHTA HAI.

KABHI ROTA NAHI MAN KISI KI MAUT PER,
KABHI YOUN HI AANSU BAHANE KO JI CHAHTA HAI.

KABHI ACHHA LAGTA HAI AAKASH MEIN URNA,
KABHI KISI BANDHAN MEIN BANDH JAANE KO JI CHAHTA HAI.

KABHI AAPNE BHI LAGTE HAI BEGANE SE,
KABHI BEGANO KO BHI AAPNA-NE KO JI CHAHTA HAI.

KABHI SARI DUNIYA KA SATH BAHUT BHATA HAI,
KABHI KHUD KO BHI BHOOL JANE KO JI CHAHTA HAI.

KABHI MAN CHAHE SARI DUNIYA KI DAULAT,
KABHI AAPNI BHI GANWANE KO JI CHAHTA HAI.

KABHI MAN CHAHE NAYA JIVAN,
KABHI ISE BHI MITANE KO JI CHAHTA HAI.

....................................

Saturday, November 7, 2009

कभी उसे भी मेरी याद सताती होगी............

कभी उसे भी मेरी याद सताती होगी,
अपनी आँखों में मेरे खवाब सजाती होगी,

वो जो हर वक़्त ख्यालों में बसी रहती है,
कभी तो मेरी भी सोचो में खो जाती होगी,

वो जिसकी राह में पलकें बिछी रहती है,
कभी मुझे भी अपने पास बुलाती होगी,

लबों पर रहती है वो हर पल हंसी बनकर,
तसवर से मेरे वो भी मुस्कुराती होगी,

वो जो शामिल है मेरे गीत मेरे नागमो में,
कभी तन्हाई में मुझको गुण गुनाती होगी,

जिसके लिए मेरा दिल बेकरार रहता है,
मेरे लिए अपना चैन भी गवंती होगी,

जिससे प्यार हर पल करना चाहूँ,
कभी इकरार तो वो भी करना चाहती होगी,

जिसके लिए मेरी हर रात है कटती करवट करवट,
कभी तो उसे भी नींद ना आती होगी,
जिसकी उल्फत की शमा से है मेरा दिल रोशन,

मेरी चाहत के वो भी दीप जलती होगी,
छोड़ कर चला जाऊंगा उसे एक दिन,

मेरी जुदाई उसे भी युही रुलाती होगी..

कौन हूँ मैं.......?

गर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं ,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वोह एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं.....
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
जो समझ न सके मुझे, उनके लिए "कौन"
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,,,,,
"अगर रख सको तो निशानी, खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं

Saturday, October 24, 2009

मकान- कैफी आजमी

आज की रात बहुत गरम हवा चलती है
आज की रात न फुटपाथ पे नींद आयेगी ।
सब उठो, मैं भी उठूँ, तुम भी उठो, तुम भी उठो
कोई खिड़की इसी दीवार में खुल जायेगी ।

ये जमीन तब भी निगल लेने पे आमादा थी
पाँव जब टूटी शाखों से उतारे हम ने ।
इन मकानों को खबर है ना मकीनों को खबर
उन दिनों की जो गुफाओ मे गुजारे हम ने ।

हाथ ढलते गये सांचे में तो थकते कैसे
नक्श के बाद नये नक्श निखारे हम ने ।
कि ये दीवार बुलंद, और बुलंद, और बुलंद,
बाम-ओ-दर और जरा, और सँवारा हम ने ।

आँधियाँ तोड़ लिया करती थी शामों की लौं
जड़ दिये इस लिये बिजली के सितारे हम ने ।
बन गया कसर तो पहरे पे कोई बैठ गया
सो रहे खाक पे हम शोरिश-ऐ-तामिर लिये ।

अपनी नस-नस में लिये मेहनत-ऐ-पेयाम की थकान
बंद आंखों में इसी कसर की तसवीर लिये ।
दिन पिघलाता है इसी तरह सारों पर अब तक
रात आंखों में खटकतीं है स्याह तीर लिये ।

आज की रात बहुत गरम हवा चलती है
आज की रात न फुटपाथ पे नींद आयेगी ।
सब उठो, मैं भी उठूँ, तुम भी उठो, तुम भी उठो
कोई खिड़की इसी दीवार में खुल जायेगी ।

- कैफी आजमी